Krishna motivational speech : भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से सीखें सफल होने के 5 सूत्र -
गीता में जीवन के सार का वर्णन बहुत ही विस्तार से किया है। गीता को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप माना गया है। गीता में मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए की सूत्रों का वर्णन किया गया है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी तमाम बातों का अध्ययन करके सीखा जा सकता है।
पहला मन्त्र :- शान्त स्वभाव रखकर काम करना
शांत स्वभाव रखकर काम करना एक महत्वपूर्ण गुण है जो व्यक्ति को उसके काम में सफलता और आत्म-समर्थन की दिशा में मदद कर सकता है। शांति रखना यानी कि चिंता, आत्म-नियंत्रण, और स्थिरता के साथ काम करना व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करने में मदद कर सकता है। यहाँ कुछ कारगर सुझाव हैं जो शांत स्वभाव के साथ काम करने में मदद कर सकते हैंअपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें और ध्यानात्मक अभ्यास करें।ध्यान, प्राणायाम या मानसिक स्थिति सुधारने के लिए औरत्रिक तकनीकें अपनाएं। काम को व्यवस्थित रूप से करें और अपने समय का ठीक से प्रबंधन करें। अधिक दबाव न बनाएं और अवकाश और रिक्रिएशन के लिए समय निकालें। विभिन्न प्रकार के चुनौतियों का सामना करते समय अपने विचारों को नियंत्रित करें। सकारात्मक भावना बनाए रखें और अपने लक्ष्यों की दिशा में बढ़ें। नियमित व्यायाम करें, जैसे कि योग या प्रणायाम, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।स्वस्थ आहार लें और पूर्ण नींद प्राप्त करें काम में पूरा समर्पण और आत्म-निर्भरता के साथ काम करें। कभी-कभी छोटी राहतें और ब्रेक्स लेने का समय निकालें ताकि आप फिर से प्रबंधित हो सकें। एक शांत स्वभाव रखकर काम करना व्यक्ति को सही दिशा में ले जाता है और उसे अधिक समर्थन और सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।
दूसरा मन्त्र :- साधारण जीवन जीना
साधारित जीवन जीना एक सामान्य, साधारित तरीके से जीवन का आनंद लेना है, जिसमें सामाजिक, आर्थिक, और व्यक्तिगत पहलुओं का संतुलन होता है। यह कुछ आवश्यक और मौजूदा विचारों को शामिल कर सकता है जो एक सामान्य व्यक्ति के जीवन को सशक्त बना सकते हैं परिवार, मित्र, और समाज के साथ सुखद और सातत संबंध बनाए रखना महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। अच्छी नींद लें और ध्यान दें कि आपका मानसिक स्वास्थ्य भी ठीक रहे। अपने कैरियर और शिक्षा में समृद्धि के लिए मेहनत करें और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए कठिनाईयों का सामना करें।किसी भी कार्य में पूरा समर्पण दिखाएं और अपने कार्यों में आत्मसमर्पण से काम करें आर्थिक दृष्टि से जिम्मेदार रहें और अपने खर्चों को संजीवनी सीमा में रखें।अपने शौकों और रुचियों का समय निकालें। अपने जीवन में मनोरंजन का सही हिस्सा बनाए रखें।जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता बनाए रखें और सकारात्मकी में रहें। नए चीजें सीखें और अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षेत्र में उन्नति करने के लिए तैयार रहें। साधारित जीवन जीने का मतलब है अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मेहनत करना, संतुलन बनाए रखना, और समृद्धि और सुख भरा जीवन जीना। यह सब आपको एक सुखद और सत्यापनशील जीवन की दिशा में मदद कर सकता है।
तीसरा मन्त्र :- कभी हार न मानना
कभी भी उनका मन बुरा समय आने पर घबराता नहीं था। वह विपरीत परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करते थे। उनका मनाना था बुरे समय में विवेक पूर्वक काम करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने कभी भी हार न मनाने का संदेश दिया था। अंत का प्रयास करते रहना चाहिए, भले ही परिणाम हमारे पक्ष में क्यों न हो।यह सिख हमें यह बताती है कि जीवन में हमें सफलता की प्राप्ति के लिए प्रत्येक क्षण का महत्वपूर्ण है। भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों से लिए गए सिख अगर हम सही रूप से अपनाएं, तो हम अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बना सकते हैं।
चोथा मन्त्र :- दोस्ती निभाना
कृष्ण और सुदामा की दोस्ती को कौन नहीं जानता? यह दोस्ती महज दोनों के प्रेम के कारण नहीं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति आदर के कारण भी प्रसिद्ध है। किंतु आज के जमाने में दोस्ती के असली मायने कोई नहीं जानता। श्रीकृष्ण ने हमेशा अपने मित्र सुदामा और अर्जुन का साथ दिया था।दोस्ती निभाना एक सुंदर और मौलिक रिश्ता है जो जीवन को सुखद और सार्थक बनाता है। यहाँ कुछ बेहतरीन तरीके हैं जो आपको दोस्ती को सजीव और सुस्त बनाए रखने में मदद कर सकते हैंएक स्वस्थ और सजीव दोस्ती रिश्ता जीवन को रंगीन बना सकता है और आपको समर्थन, मोटिवेशन और आनंद प्रदान कर सकता है।
पाँचवा मन्त्र :- माता-पिता का आदर करना
श्रीकृष्ण को जन्म देवकी ने दिया था लेकिन उनका पालन-पोषण यशोदा और राजा नंद ने गोकुल में किया। यह जानते हुए कि उनके अपने माता-पिता उनसे दूर हैं। श्रीकृष्ण ने उन्हें दिल से प्रेम किया। उनका आदर और सम्मान करने में कोई कसर ना छोड़ी।माता-पिता का हमेशा आदर करना एक महत्वपूर्ण और समर्थनीय आचरण है, जो आपके जीवन में समृद्धि और संतुष्टि लाने में मदद कर सकता है। आदर का अर्थ है उनके प्रति श्रद्धाभाव, समर्थन और सम्मान का बनाए रखना। माता-पिता के प्रति आदर रखना एक संबंध को सुदृढ़ और स्थायी बनाए रखता है और समृद्धि, संतुष्टि, और प्रेमपूर्ण जीवन का समर्थन करता है।